चीन के साथ जारी आर्थिक विवाद के बीच जेस्टर
ने बगैर किसी लाग लपेट के कहा कि भारत अमेरिकी अर्थव्यवस्था में चीन की जगह
लेने की क्षमता रखता है। [ By
Sachin Bajpai]
ऐसे समय जब अमेरिका में एच1बी वीजा को लेकर नए सिरे से विचार विमर्श हो रहा है तब भारत में अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर ने यह आश्वासन दिया है कि वैध तौर पर वहां रह रहे भारतीय कामगारों को जबरदस्ती वहां से भेजने की कोई योजना नहीं है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका अप्रवासियों का
देश है लेकिन इनकी हमेशा के लिए इनकी संख्या बढ़ाई नहीं जा सकती है। जो लोग
बाहर से आते हैं उन्हें एक कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा। हाल ही
में समाचार पत्रों में एच1बी वीजा धारकों को स्वदेश भेजे जाने को लेकर छपी
खबरों का उन्होंने खंडन किया और कहा कि इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं है।
जस्टर ने कहा कि अमेरिका संभवत: दुनिया का सबसे खुला देश है जहां हर
क्षेत्र से लोग आते हैं। भारतीय मूल के ही 40 लाख लोग वहां रह रहे हैं।
सीमा पार आतंक बर्दाश्त नहीं
जेस्टर ने भारत के लिए लगातार परेशानी का
सबब बने पाकिस्तान को भी सीधा संदेश दिया कि अब सीमा पार आतंक को बिल्कुल
भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के रवैये की वजह
से उसे दी जाने वाली दो अरब डॉलर की मदद रोकी गई है। पाकिस्तान का नाम लिये
बगैर ही उन्होंने यह भी संकेत दिये कि भारत और अमेरिका आगे चल कर स्थानीय
या वैश्विक स्तर पर आतंकियों के ठिकाने को नष्ट करने में सहयोग करेंगे।
हालांकि अफगानिस्तान में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए पाकिस्तान की
भूमिका को भी स्वीकार किया।
सैन्य निर्माण में होंगी अहम घोषणाएं
अमेरिकी राजदूत ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र
में भारत के साथ बढ़ते रक्षा सहयोग की भी रूप-रेखा पेश की। उन्होंने इस
क्षेत्र में भारत को लीडर के तौर पर पेश करते हुए कहा कि अगले वर्ष सैन्य
सहयोग में कुछ अहम घोषणाएं हो सकती हैं। इसमें नेक्स्ट जेनेरेशन के युद्धक
विमान और जमीनी युद्ध लड़ने वाले बेहद आधुनिक वाहनों का संयुक्त तौर पर
निर्माण करने से जुड़ी घोषणाएं भी शामिल हो सकती हैं। जेस्टर के शब्दों
में, ''अमेरिका भारत को वह सारी मदद देने को तैयार है जिससे वह हिंद
महासागर और इसके आस पास के इलाके में क्षेत्रीय सुरक्षा व शांति को नुकसान
पहुंचाने वाले किसी भी कदम का सफलतापूर्वक सामना करने के लिए तैयार रहे।''
ऐसे समय जब चीन पूरे हिंद महासागर व प्रशांत महासागर में अपनी सैन्य क्षमता
बढ़ाने में जुटा है, जेस्टर की इस साफ बयानी के काफी दूरगामी मायने है।
अमेरिका को इस बात से भी कोई परेशानी नहीं
है कि भारत इन रक्षा उपकरणों का अपने यहां ही उत्पादन करे। अमेरिका भारत
को स्थानीय स्तर पर बेहतरीन सैन्य साजो समान बनाने में मदद करेगा ताकि इस
क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाएं एक मजबूत रक्षा साझेदार के तौर पर
स्थापित हो सके। इसमें जापान और आस्ट्रेलिया जैसे नए साझेदारों की भी
भूमिका होगी।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली।
भारत
और अमेरिका के बीच आर्थिक, सैन्य और कूटनीतिक रिश्तों में आई गर्माहट का
भविष्य क्या है? भारत में अमेरिका के नवनियुक्त राजदूत केनेथ आई जेस्टर ने
अपना पद संभालने के बाद दिए गए पहले सार्वजनिक भाषण में दोनो देशों के
रिश्तों के भावी दिशा-दशा की जो रूपरेखा खींची है वह सीधे तौर पर चीन के
साथ ही विश्व बिरादरी के दूसरे देशों को यह संकेत है कि भारत-अमेरिका का
गठबंधन आने वाले वर्षो में वैश्विक पटल की सबसे उल्लेखनीय घटना होने वाली
है।
चीन के साथ जारी आर्थिक विवाद के बीच
जेस्टर ने बगैर किसी लाग लपेट के कहा कि भारत अमेरिकी अर्थव्यवस्था में चीन
की जगह लेने की क्षमता रखता है। जिस तरह से अभी रक्षा साझेदारी को रणनीतिक
दृष्टिकोण से देखा जाता है उसी तरह से आर्थिक रिश्तों को भी देखना होगा।
आगे उन्होंने कहा कि, ''कई अमेरिकी कंपनियों ने चीन में कारोबार करने में
हो रही दिक्कतों के बढ़ने की शिकायत की है। कई कंपनियां वहां अपने संचालन
को कम कर रही हैं। दूसरी कंपनियों विकल्प तलाश रही हैं। भारत व्यापार व
निवेश के इस रणनीतिक मौके का फायदा उठाते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में
अमेरिकी कारोबार का केंद्र बन सकता है।'' अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत एक
निवेश हब बना सकता है। यही नहीं आगे चल कर दोनो देश फ्री ट्रेड समझौते
(एफटीए) का रोडमैप भी बना सकते हैं। हालांकि इसमें अभी वक्त लगेगा। यह पहला
मौका है जब अमेरिकी प्रशासन के किसी अधिकारी ने आर्थिक तौर पर भारत को चीन
की जगह लेने का प्रस्ताव किया है।
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